' स्याम जी की पैंजनियां '
झुनकि स्याम की पैंजनियाँ ।
जसुमति सुत कौं चलन सिखावति अंगुरी गहि गहि दोउ जनियाँ ॥
स्याम बदन पर पीत झंगुलिया , सीस कुलहिया चौतनियां ।
जाकौ ब्रम्हा पार न पावत , ताहि खिलवाति ग्वालिनियां ॥
दूरि न जाहु निकट ही खेलौ , मैं बलिहारी रेंगिनियाँ ।
सूरदास जसुमति बलिहारी , सुतहि खिलावति लै कनियाँ ॥
No comments:
Post a Comment