Thursday, 20 December 2012

' स्याम जी की पैंजनियां '






झुनकि स्याम  की  पैंजनियाँ ।
जसुमति  सुत कौं चलन सिखावति अंगुरी गहि गहि दोउ जनियाँ ॥
स्याम बदन पर पीत झंगुलिया , सीस कुलहिया चौतनियां ।
जाकौ ब्रम्हा पार न पावत , ताहि खिलवाति ग्वालिनियां ॥
दूरि न जाहु निकट ही खेलौ , मैं बलिहारी रेंगिनियाँ ।
सूरदास जसुमति बलिहारी , सुतहि  खिलावति लै कनियाँ ॥



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